स्कन्द जी ने भगवान शंकर जी से पूछा – हे महादेव, महान गुण सम्पन्न रुद्राक्ष का निर्माण कैसे हुआ ? रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है ? उनको कैसे धारण किया जा सकता है ? उसकी सरल विधि क्या है ? कृपया बताइये ?
भगवान शंकर जी कहने लगे – सुनो स्कन्द जी, प्राचीन कल मे त्रिपुर नमक एक अजेय असुर था । ब्रह्मा, विष्णू तथा इन्द्र आदि देवगन उससे युद्ध मे पराजित होकर, हार से व्याकुल होकर मेरे पास आए और त्रिपुर को दण्ड देने की प्रार्थना करने लगे । उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए , तब “कलाग्नि” नामक ऐसा अधोर शस्त्र मैंने धारण किया, जिसे देखने का समर्थय देवगणो के पास भी नहीं था। जिसके कारण उस शस्त्र को देखने मात्र से देवगणो की आंखे एक हज़ार वर्ष तक चुंधयाती रही और तेज प्रकाश की व्याकुलता से उनकी आंखो से जो आँसू गिरे , उससे मनुष्यलोक मे आरोग्यदायी रुद्राक्ष व्रक्ष की उत्पत्ति हुई ।
हे स्कन्द जी, इसकी माला पहनने से, जपजापय से सौ करोड़ गुना पुण्य प्राप्त होता है । साथ ही हाथ, कान, मस्तक और गले मे सच्चा रुद्राक्ष धारण करने से अत्यंत दुर्लभ “मृत्युंजय” पद मिलता है । हे महाभाग ! रुद्राक्ष धारण करने वाला समस्त पापो से मुक्त हो जाता है ।
तब स्कन्द जी ने विनय पूर्वक हाथ जोड़कर प्रश्न किया – हे देवो के देव महादेव ! रुद्राक्ष कितने प्रकार का होता है ? प्रत्येक धारण की विधि और उससे होने वाले लाभ का विस्तृत वर्णन क्रमशः करने की कृपा काजिये ?
महादेव जी मुस्कराये और बोले – हे स्कन्द जी सुनो – मै अब एक मुखी रुद्राक्ष का फल कहता हू –
एकमुखी रुद्राक्ष
एकमुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन प्रातः काल यथाविधि न्यास आदि जप करके धारण करना चाहिए ।
एकमुखी रुद्राक्ष “शिव” स्वरूप माना जाता है इसके धारण करने से ब्रह्महत्या जैसे पाप दूर हो जाते है । इसके पूजन से लक्ष्मी का वास होता है । इसको धारण करने वाला चिंतामुक्त होकर निर्भय रहता है । कोई भी शत्रु उसे हानि नहीं पहुचा सकता है
दोमुखी रुद्राक्ष
दोमुखी रुद्राक्ष को यथाविधि सोमवार को प्रातःकल, शिवरात्रि या महाशिवरात्रि को जाप करके धारण करना चाहिए ।
“देव-देव” नाम वाले दोमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गौहत्या जैसे पाप दूर होते है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है साथ ही धारण करने वाला धन-धान्य से सम्पन्न होकर चिंताओ से मुक्त रहता है ।
तीनमुखी रुद्राक्ष
तीनमुखी रुद्राक्ष तीनमुखी रुद्राक्ष को सोमवार को यथाविधि जाप करके धारण करके करे ।
तीनमुखी रुद्राक्ष साक्षात “अग्नि” स्वरूप होता है । यह स्त्री हत्या जैसे पापो को नष्ट करने वाला, विध्या प्रदाता, शत्रुनाश करने वाला, पेट की व्याधियों तथा अपघात जैसी अशुभ घट्नाओ से रक्षा करता है ।
चारमुखी रुद्राक्ष
चारमुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन विधिपूर्वक प्रातःकल मे गले मे धारण करे । आप चाहे तो इसे जेब मे भी रख सकते है
चारमुखी रुद्राक्ष साक्षात “ब्रह्म” रूप माना गया है । इसे धारण करने वाला वेदशास्त्रो का ज्ञाता , सबका प्रिय तथा धन सम्पन्न होता है । जीवन मे कोई कमी नहीं रहती है । इससे आत्महत्या का पातक दूर होता है । आंखो मे आक्रष्ण, वाणी मे मिठास, शरीर से स्वस्थ तथा दूसरों को सम्मोहित करने का गुण आ जाता है ।
पंचमुखी रुद्राक्ष
पंचमुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन प्रातःकल काले धागे मे गूँथकर यथाविधि धारण करे ।
इस रुद्राक्ष को “काल अग्नि” के नाम से जाना जाता है । सब रुद्राक्षों मे इसे सबसे अधिक शुभ और पुण्य दाता माना गया है । इसे धारण करने से यश, वैभव, सपन्नता, सुख-शांति तथा प्रतिष्ठा बढ़ती है । दूषित तथा अभक्ष्य आननदिक सेवन से उत्पन्न विकार तथा बाधाओ का शमन हो जाता है ।
छःमुखी रुद्राक्ष
छःमुखी रुद्राक्ष को “कार्तिकेय” की संज्ञा दी गई है । सोमवार को प्रातःकल मे काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला शुभ लक्षणो से युक्त, सदगुणी, तथा धर्यवान हो जाता है । सभा सम्मेलनों मे बोलने की शक्ति प्राप्त होती है । उस पर माँ पार्वती की विशेष कृपा रहती है ।
सात मुखी रुद्राक्ष
सात मुखी रुद्राक्ष का नाम “अनंत” है । इसे सोमवार को प्रातःकल मे काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इस रुद्राक्ष धारण करने वाले को विष बाधा नहीं सताती। सभी पाप नष्ट व शोक होकर सुख-शांति तथा लाभ प्राप्त होता है । स्त्री वशीकरण, गुप्त धन तथा कीर्ति प्राप्त कर निरंतर तरक्की मिलती जाती है ।
आठ मुखी रुद्राक्ष
आठ मुखी रुद्राक्ष को साक्षात “गणेश” का अवतार माना जाता है । इसे सोमवार को प्रातःकल मे काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इसको धारण करने वाले को कभी अपयश का मुह नहीं देखना पड़ता है । श्रेष्ठ विध्या की प्राप्ति से लिए इसे धारण करना उत्तम होता है ।
नवमुखी रुद्राक्ष
नवमुखी रुद्राक्ष “भैरव” के नाम से प्रसिद्ध है । सोमवार के दिन भगवान शिव के सामने काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इसे धारण करने वाला शिव का अत्यंत प्रिय होने से स्वर्ग मे इंद्रा के समान पुजा जाता है । मृत्यू लोक मे धन, संपत्ति, ऐश्वर्य तथा मन सम्मान पर्पट करता है ।
दशमुखी रुद्राक्ष
दशमुखी रुद्राक्ष साक्षात जानर्दन “भगवान विष्णु” का रूप माना जाता है । सोमवार के दिन भगवान शिव के सामने काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इसे धारण करने वालो को सर्प आदि का भाय नहीं होता है भूत, प्रेत, पिशाच और ब्रह्मराक्षस आदि बाधाये नहीं सताती । यह अत्यंत शक्तिशाली होता है ।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष “रुद्र” स्वरूप माना गया है । सोमवार को स्नान आदि करके भगवान के सामने चौरंग रखकर, उस पर आसन बिछा कर रुद्राक्ष रखे फिर प्रेमश्वर का ध्यान करके अनन्य भाव से रुद्राक्ष को नमस्कार करके यथाविधि पूजन करके काले धागे मे गूंथकर गले मे धारण करे ।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से चन्द्र ग्रहण मे किए गए दान तथा बाजपेय यज्ञ से भी हज़ार गुना पुण्य मिलता है यश, वैभव तथा पर्याप्त प्रसिद्धि मिलती है ।
बारह मुखी रुद्राक्ष
बारह मुखी रुद्राक्ष “आदित्य” स्वरूप यानि सूर्य के समान तेजस्वी माना गया है । सोमवार के दिन प्रातः सूर्योदय होते ही नारायण को नमस्कार करे । फिर रुद्राक्ष को हाथ मे लेकर सूर्य किरणों केए स्नान कराये । इसके बाद घर के पवित्र स्थान मे भगवान के समीप चौरंग बिछाकर उस पर रखकर यथाविधि पूजन करके काले धागे मे गूंथकर गले मे धारण करे ।
इसे धारण करने से चोर, अग्नि, दरिद्रता और व्याधियों से मुक्ति मिलती है । कुछ ही समय मे घर धन-धान्य पुत्र आदि से परिपूर्ण हो जाता है । जंगली विषेले जीव-जन्तु, दुख तथा निराशा उसे छू भी नहीं सकते ।
तेरह मुखी रुद्राक्ष
तेरह मुखी रुद्राक्ष इसे “इन्द्र” की संज्ञा दी गयी है । सोमवार के दिन भगवान शिव के सामने काले धांगे मे गूंथकर यथाविधि पहने ।
इसे धारण करने वाले की सभी भौतिक कामनाए पूर्ण होती है । रिद्धि-सिद्धि प्राप्त कर पापो से मुक्त हो जाता है ।
चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष “हनुमान” का स्वरूप माना गया है । सोमवार के दिन भगवान शिव के सामने चौरंग बिछाकर रुद्राक्ष को विराजमान करके उसको नमस्कार करके यथाविधि पूजन करके काले धांगे मे गूंथकर पहने ।
यह बलशाली रुद्राक्ष हनुमान का प्रतीक होने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकनी, शांकनी आदि कष्टो से रक्षा कर बल एवं साहस को बढ़ाता है ।
एक मुखी से चौदह मुखी रुद्राक्ष के बारे मे लिखने प्रयास मुझ अल्पज्ञानी ने किया । चौदह मुखी से ऊपर के समस्त रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ, अत्यंतशक्तिशाली माने गए है । वे स्वम भगवान शिव की ही शक्तिया माने गए है इनको फनने के प्रभाव से मानव अपने जीवन की समस्त उथल पुथल से ऊपर उठकर आगे बढ्ने मे कामयाब होता है । इनको धारण करने वाले को सभी प्रकार की शक्तियों – आत्मशक्ति, संकल्पशक्ति, ज्ञानशक्ति, अद्ध्यनशक्ति, रोगो से लड़ने की शक्ति भरपूर रूप से प्राप्तकर सफलता के मार्ग पर बढ़ता है ।
पंद्रहमुखी रुद्राक्ष
पंद्रहमुखी रुद्राक्ष यह भगवान पशुपतिनाथ का स्वरूप है । इसको धारण किए जाने से सभी पापो का स्वतः ही नाश हो जाता है यह रुद्राक्ष धारक को आध्यात्मिक स्टार पर उठाकर उसको सुख-सम्पदा, धन-धान्य, यश, मान , प्रीतिष्ठा , पारिवारिक सुख और शांति देता है ।
सोलहमुखी रुद्राक्ष
सोलहमुखी रुद्राक्ष यह हरी-शंकर रूप है यह एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है । यह धारक को चोरी, शत्रुओ, विरोधियो व नकारात्मक शक्तियों से बचाकर उसको सुख-समृद्धि व दीर्घायु प्रदान करता है जिस घर मे यह रुद्राक्ष होता है वह घर चोर-डकैती, अग्नि और बुरी नज़र से बचाव होता है ।
सत्रहमुखी रुद्राक्ष
सत्रहमुखी रुद्राक्ष यह सीताराम स्वरूप है यह धारण करने वाले की आध्यात्मिक और आंतरिक शक्तियो को बल-बुद्धि, और शरीर को बलिष्ठता प्रदान करता है । अचानक धनलाभ, जायजाद, वाहन आदि का सुख को बढ़ा देता है । यादयाष्ट को बढ़ाता है , कठोर परिश्रमी बनाता है ।
अट्टारहमुखी रुद्राक्ष
अट्टारहमुखी रुद्राक्ष यह भगवान शिव का भैरव रूप है यह दुर्भाग्य को नष्ट करके सौभाग्य को कई गुना बढ़ाता है । मानसिक संतुलन को नियंत्रित करता है । निडरता देता है । स्त्रियो के लिए विशेष लाभकारी है यह सभी प्रकार के स्त्री रोगो, गर्भपात व संतान प्राप्ति मे बाधाओ को दूर करता है ।
उन्नीसमुखी रुद्राक्ष
उन्नीसमुखी रुद्राक्ष यह नारायण स्वरूप है । यह धारण करने वाले को जीवन, व्यवसाय आदि मे आने वाली सभी बाधाओ को दूर करके विजयश्री प्रदान करता है । कोर्ट-कचहरी, मुकदमे, शत्रु-संघर्ष मे सफलता दिला कर परम सुख, शांति व संतुष्टि प्रदान करता है। यह सभी मनोकमनाओ को पूर्ण करने वाला है ।
बीसमुखी रुद्राक्ष
बीसमुखी रुद्राक्ष यह ब्रह्म स्वरूप है भूत, प्रेत, सभी तरह की नकारात्मक्ता, नवग्रहों के दुष्प्रभाव का असर नहीं होने देता है । यह धारक को परम मानसिक शांति प्रदान करता है । तथा व्यक्ति को उत्तम भविष्यवक्ता बना सकता है । भविष्य मे घटने वाली घटनाओ का पूर्वानुमान इसको धारण करने वाले को स्वतः हो जाता है ।
इक्कीसमुखी रुद्राक्ष
इक्कीसमुखी रुद्राक्ष यह अति दुर्लभ रुद्राक्ष है जोकि कुबेर स्वरूप है । यह सारे सांसारिक सुखो का दाता है इसे धारण करने से साहस, कर्मठता, धीरता, पराक्रम, सहनशीलता और यश मे बढ़ोत्तरी होती है । बल-बुद्धि, विध्या व उत्तम स्वस्थ का प्रदाता है । धन-धान्य, व्यवसाय, सौभाग्य मे बढ़ोतरी करता है।
गौरीशंकर रुद्राक्ष
गौरीशंकर रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से आपस मे जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरीशंकर रुद्राक्ष कहते है । यह शिवपर्वती का रूप है । घर, पुजाग्रह मे अथवा तिजोरी मे मंगलकामना के रखा जाना लाभदायक है । परिवार मे सुखशांति मे बढ़ोतरी होती है । सुखी व पवित्र ग्रहस्थ सुखो के लिए सर्वोत्तम है । पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-बहन, दोस्तो से मतभेदो को समाप्त कर प्यार व एकता को बढ़ाता है । जिनकी शादी मे अनावशयक विलंब हो रहा उनको इसे जरूर धारण करना चाहिए ।
गणेश रुद्राक्ष
गणेश रुद्राक्ष यह श्री गणेश जी के उपासको के लिए सर्वश्रेष्ठ है । इसे धारण करने से ज्ञान व रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है ।
गौरी पाठ (तृजुटी) रुद्राक्ष
गौरी पाठ (तृजुटी) रुद्राक्ष इस रुद्राक्ष मे तीन रुद्राक्ष एक साथ जुड़े रहते है । यह ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्वरूप है । यह रुद्राक्ष परजाति का सबसे दुर्लभ हीरा समझा जाता है । जितना फल एकमुखी से लेकर चौदहमुखी रुद्राक्ष व गौरी-शंकर सहित सभी रुद्राक्ष पहनने से मिलता है , उससे करोड़ो गुना फल श्री गौरीपाठ के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है । इसको धारण करने वाले को जीवन मे यश, सम्मान, पद प्रतिष्ठा, पूता विध्या आदि मे पूर्णता प्रपट करता हुआ , अंत मे मुक्ति पता है ।
रुद्राक्ष और चिकित्सा प्रयोग
यथा योग्य सिद्ध रुद्राक्ष की माला पहनने से शरीर मे रक्त का संचालन सही रूप मे होता है । अर्थात रक्तचाप (ब्लड प्रैशर) के रोगी को रक्त कंट्रोल मे बड़ी सहायता मिलती है ।
हृदय को शक्ति मिलने के साथ साथ शहद मे घिसकर देने से मूर्छा वी मिर्गी जैसे रोगो मे भी अत्यंत लाभ होता है ।
रात को तांबे के बर्तन मे जलभर कर उसमे रुद्राक्ष डाल दे । सुबह खाली पेट उस जल को पीने से पेट के रोगो मे अत्यंत लाभ मिलता है ।
JEEVAN COde
आप जहाँ हैं वहीं से अपने जीवन को दिशा देकर तरक़्क़ी के मार्ग पर ले जाएँ। जीवन कोड आपके जीवन जीने के तरीक़े में कुछ बदलाव करके आपके जीवन को ख़ुशियों से भरने की एक कोशिश